पीठ के निचले हिस्से के दर्द को जल्दी कैसे दूर करें?

नमस्कार दोस्तों ,जैसा की आप सभी लोग जानते हैं ,जैसे की बढ़ते समय के साथ ही पीठ के निचले हिस्से मे दर्द की समस्या अक्सर तर बढ़ती जा रही है,तो पीठ के निचले हिस्से के दर्द को जल्दी कैसे दूर करें?तो आज मै इस आर्टिकल के जारिए से कुछ जानकारियाँ देना चाहता हूँ। जैसे की पीठ के निचले हिस्से के दर्द को जल्दी कैसे दूर किया जा सकता है यह एक बड़ी समस्या है। तो जानते हैं इन समस्याओं से कैसे लड़ना है?

आज की तेज़-रफ्तार जिंदगी में पीठ के निचले हिस्से का दर्द (Lower Back Pain) एक आम समस्या बन चुका है। यह दर्द न केवल शारीरिक परेशानी का कारण बनता है, बल्कि आपकी रोज़मर्रा की गतिविधियों, कामकाज और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। कुछ लोगों को यह दर्द अचानक चोट या गलत मुद्रा के कारण होता है, जबकि कुछ के लिए यह लंबे समय तक गलत जीवनशैली के कारण धीरे-धीरे विकसित होता है। अच्छी खबर यह है कि सही जानकारी और उपायों के साथ इस दर्द को जल्दी और प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।

हम इस लेख में पीठ के निचले हिस्से के दर्द के कारण, तुरंत राहत के उपाय, घरेलू नुस्खे, असरदार एक्सरसाइज, और इसे दोबारा होने से रोकने के लिए जीवनशैली में बदलाव के बारे में विस्तार से बात करेंगे। ताकि आप इस समस्या से निपट सकें और स्वस्थ जीवन जी सकें।

पीठ के निचले हिस्से में दर्द के मुख्य कारण

पीठ के निचले हिस्से में दर्द कई कारणों से हो सकता है। इनमें से कुछ सामान्य कारण हैं:

  1. गलत बैठने की मुद्रा (Poor Posture): लंबे समय तक झुककर बैठना या गलत तरीके से कुर्सी पर बैठना पीठ की मांसपेशियों पर दबाव डालता है।
  2. भारी वजन उठाना: गलत तरीके से भारी सामान उठाने से मांसपेशियों में खिंचाव या चोट लग सकती है।
  3. लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहना: ऑफिस में घंटों बैठे रहना या खड़े रहना पीठ की मांसपेशियों को कमजोर करता है।
  4. कमजोर मांसपेशियाँ: नियमित व्यायाम न करने से पीठ और पेट की मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं, जिससे दर्द की संभावना बढ़ती है।
  5. डिस्क स्लिप या नस दबना: रीढ़ की हड्डी में डिस्क का खिसकना या नस दबना गंभीर दर्द का कारण बन सकता है।
  6. आर्थराइटिस या सायटिका: ये मेडिकल समस्याएँ भी पीठ दर्द का कारण बनती हैं।
  7. नींद की गलत पोजीशन या खराब गद्दा: गलत गद्दे या तकिए पर सोने से पीठ पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
  8. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य: मानसिक तनाव मांसपेशियों को तनावग्रस्त करता है, जिससे दर्द बढ़ सकता है।
  9. मोटापा: अधिक वजन होने से पीठ की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

दर्द को तुरंत राहत देने के उपाय

अगर आपको अचानक पीठ दर्द हुआ है, तो निम्नलिखित उपाय तुरंत राहत दे सकते हैं:

1. ठंडी और गर्म सिकाई (Cold & Hot Compress)

  1. पहले 24-48 घंटों में: बर्फ की सिकाई करें। एक बर्फ का पैक या फ्रोजन मटर का पैकेट तौलिये में लपेटकर दर्द वाली जगह पर 15-20 मिनट तक लगाएँ। यह सूजन और दर्द को कम करता है।
  2. 48 घंटों के बाद: गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड का उपयोग करें। गर्माहट मांसपेशियों को रिलैक्स करती है और रक्त प्रवाह बढ़ाती है।
  3. कैसे करें: दिन में 2-3 बार 15 मिनट के लिए सिकाई करें।

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2. सीमित आराम

  1. क्या करें: 1-2 दिन तक भारी काम से बचें और आराम करें, लेकिन पूरी तरह बिस्तर पर न लेटें। ज्यादा देर तक लेटे रहने से मांसपेशियाँ और सख्त हो सकती हैं।
  2. क्या न करें: बेड रेस्ट को 2 दिन से ज्यादा न बढ़ाएँ, क्योंकि इससे रिकवरी धीमी हो सकती है।

3. आयुर्वेदिक तेल से मालिश

  1. तेल का चयन: नारियल तेल में कपूर मिलाकर या महाभृंगराज तेल का उपयोग करें।
  2. कैसे करें: हल्के हाथों से 10-15 मिनट तक मालिश करें। यह रक्त संचार को बेहतर बनाता है और मांसपेशियों को आराम देता है।
  3. सावधानी: मालिश बहुत जोर से न करें, खासकर अगर दर्द गंभीर हो।

4. ओवर-द-काउंटर दवाएँ

  1. दवाएँ: डॉक्टर की सलाह से ibuprofen या paracetamol जैसी दर्द निवारक दवाएँ लें।
  2. ध्यान दें: ये दवाएँ अस्थायी राहत देती हैं, लेकिन लंबे समय तक इनका उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।

पीठ दर्द के लिए सबसे असरदार एक्सरसाइज

नियमित व्यायाम पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने और दर्द को कम करने में मदद करता है। नीचे कुछ आसान और प्रभावी एक्सरसाइज दी गई हैं:

1. कैट-काउ पोज़ (Cat-Cow Stretch)

कैट-काउ पोज़, जिसे संस्कृत में “मार्जरी- बिटलासन” कहा जाता है, एक सरल लेकिन प्रभावशाली योगासन है जो रीढ़ की हड्डी को लचीलापन देने के लिए जाना जाता है। यह पोज़ मुख्य रूप से पीठ, गर्दन और पेट की मांसपेशियों को स्ट्रेच और रिलैक्स करने में मदद करता है। इसे करते समय शरीर बारी-बारी से बिल्ली (कैट) और गाय (काउ) की मुद्रा में आता है — जिससे सांस और शरीर की गति के बीच तालमेल बनता है। यह अभ्यास विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो कंप्यूटर पर लंबे समय तक बैठते हैं या पीठ दर्द से परेशान हैं।

कैट-काउ पोज़ मानसिक तनाव को भी कम करता है क्योंकि यह धीमी और नियंत्रित श्वास के साथ किया जाता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। नियमित अभ्यास से रीढ़ में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, पाचन क्रिया में सुधार आता है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। यह पोज़ योग के शुरुआत करने वालों के लिए भी एक आदर्श मुद्रा है क्योंकि यह सरल है और शरीर को आगे की कठिन मुद्राओं के लिए तैयार करता है।

  1. कैसे करें:
    • चारों हाथ-पैरों के बल जमीन पर बैठें।
    • साँस लेते हुए पीठ को नीचे की ओर झुकाएँ (Cow Pose) और सिर को ऊपर उठाएँ।
    • साँस छोड़ते हुए पीठ को ऊपर की ओर गोल करें (Cat Pose) और सिर को नीचे करें।
    • इसे 8-10 बार दोहराएँ।
  2. फायदा: रीढ़ की हड्डी को लचीलापन देता है और जकड़न कम करता है।

2. पेल्विक टिल्ट (Pelvic Tilt)

पेल्विक टिल्ट एक सरल लेकिन प्रभावी व्यायाम है जो विशेष रूप से कमर, पेट और पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाने के लिए किया जाता है। यह एक्सरसाइज उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है जिन्हें कमर के निचले हिस्से में दर्द रहता है या जिनकी पेल्विक मांसपेशियाँ कमजोर हो गई हैं। इस व्यायाम में व्यक्ति पीठ के बल लेटकर अपने कूल्हों और श्रोणि (pelvis) को धीरे-धीरे ऊपर और नीचे करता है, जिससे रीढ़ की हड्डी की स्थिति को सुधारा जा सकता है।

पेल्विक टिल्ट न केवल पीठ दर्द से राहत देता है, बल्कि यह शरीर की मुद्रा (posture) को बेहतर बनाता है और कोर मसल्स को एक्टिव करता है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह एक सुरक्षित और उपयोगी व्यायाम माना जाता है, क्योंकि इससे पीठ के निचले हिस्से पर पड़ने वाला दबाव कम होता है। यह व्यायाम उन लोगों के लिए भी उपयुक्त है जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं, क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी और कूल्हों में जमे तनाव को कम करता है।

  1. कैसे करें:
    • पीठ के बल लेटें, घुटने मोड़ें और पैर जमीन पर रखें।
    • पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ें और कमर को जमीन की ओर दबाएँ।
    • 5 सेकंड रुकें और फिर रिलैक्स करें। 10-15 बार दोहराएँ।
  2. फायदा: निचली पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है।

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3. ब्रीज पोज़ (Bridge Pose)

ब्रीज पोज़, जिसे संस्कृत में सेतुबंधासन कहा जाता है, एक प्रभावशाली योगासन है जो शरीर की पीठ, गर्दन और छाती को मजबूती प्रदान करता है। इस आसन को करते समय शरीर एक पुल के आकार में आ जाता है, इसलिए इसे “ब्रिज पोज़” कहा जाता है। इसे करते हुए पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ा जाता है और कूल्हों को ऊपर की ओर उठाया जाता है, जिससे शरीर का मध्य भाग ऊपर उठता है और गर्दन और कंधे ज़मीन से टिके रहते हैं।

यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीलापन देता है और पीठ के दर्द से राहत दिलाने में सहायक होता है। साथ ही यह तनाव, थकावट और डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है। ब्रीज पोज़ थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय करता है और पाचन को सुधारता है। यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जिन्हें स्लिप डिस्क, मधुमेह या थकान की समस्या रहती है। नियमित अभ्यास से शरीर में स्फूर्ति और मानसिक शांति का अनुभव होता है।

  1. कैसे करें:
    • पीठ के बल लेटें, घुटने मोड़ें और पैरों को कूल्हों के पास रखें।
    • कूल्हों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएँ ताकि शरीर एक सीधी रेखा बनाए।
    • 5-10 सेकंड रुकें और फिर नीचे आएँ। 10 बार दोहराएँ।
  2. फायदा: ग्लूट्स और निचली पीठ को मजबूती देता है।

4. चाइल्ड पोज़ (Balasana)

चाइल्ड पोज़, जिसे संस्कृत में बालासन कहा जाता है, एक सरल लेकिन अत्यंत लाभकारी योग मुद्रा है। यह मुद्रा शरीर को गहराई से आराम देती है और मन को शांत करती है। यह विशेष रूप से पीठ, कंधे और गर्दन की मांसपेशियों को तनावमुक्त करने के लिए जानी जाती है। बालासन अक्सर योग अभ्यास की शुरुआत या अंत में किया जाता है, ताकि शरीर और मन को विश्राम मिल सके। इस मुद्रा में व्यक्ति घुटनों के बल बैठकर अपने माथे को ज़मीन पर टिकाता है और हाथों को आगे या पीछे फैला सकता है।

बालासन तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होती है। यह रीढ़ की हड्डी को आराम देती है और पाचन तंत्र को भी सक्रिय करती है। जो लोग कमर दर्द, थकान या अनिद्रा से परेशान रहते हैं, उनके लिए यह आसन अत्यंत लाभकारी है। यह आसन मन को स्थिर करने, श्वास को गहरा करने और ध्यान को बढ़ाने में मदद करता है। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, सभी इसे आसानी से कर सकते हैं क्योंकि इसमें शरीर पर अधिक जोर नहीं पड़ता।

  1. कैसे करें:
    • घुटनों के बल बैठें और कूल्हों को एड़ियों पर रखें।
    • धीरे-धीरे आगे झुकें और माथे को जमीन पर टिकाएँ।
    • हाथों को सामने की ओर फैलाएँ और 20-30 सेकंड तक रुकें।
  2. फायदा: पूरे शरीर को रिलैक्स करता है और पीठ पर हल्का खिंचाव देता है।

5. हल्की वॉकिंग

हल्की वाकिंग एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली व्यायाम है जो सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त होता है। यह शरीर पर ज्यादा दबाव डाले बिना मांसपेशियों को सक्रिय करता है और धीरे-धीरे फिटनेस को सुधारने में मदद करता है। खासकर वे लोग जो लंबे समय से शारीरिक गतिविधि से दूर रहे हैं या जिन्हें स्वास्थ्य समस्याएं हैं, उनके लिए हल्की वाकिंग एक सुरक्षित और फायदेमंद विकल्प है। यह दिन की शुरुआत या अंत में 15-30 मिनट की वॉक से किया जा सकता है।

हल्की वाकिंग से न केवल कैलोरी बर्न होती है, बल्कि यह मानसिक तनाव को भी कम करती है। नियमित हल्की वॉक करने से नींद बेहतर होती है, ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है और पाचन तंत्र भी सक्रिय बना रहता है। इसके अलावा यह दिल की सेहत को बढ़ावा देती है और डायबिटीज व ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के खतरे को कम करती है। हल्की वाकिंग को जीवनशैली का हिस्सा बनाकर व्यक्ति धीरे-धीरे एक्टिव और ऊर्जावान महसूस करने लगता है।

  1. कैसे करें: रोज़ 15-20 मिनट हल्की सैर करें। तेज़ चलने से बचें।
  2. फायदा: रक्त प्रवाह बढ़ता है और मांसपेशियों को लचीलापन मिलता है।

घरेलू नुस्खे जो जल्दी असर दिखाते हैं

घरेलू उपाय पीठ दर्द में तुरंत और प्राकृतिक राहत दे सकते हैं। कुछ प्रभावी नुस्खे:

1. हल्दी दूध

हल्दी दूध, जिसे आमतौर पर “गोल्डन मिल्क” भी कहा जाता है, आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक पारंपरिक औषधीय पेय है। यह गर्म दूध में हल्दी पाउडर मिलाकर तैयार किया जाता है और इसमें कभी-कभी काली मिर्च, अदरक, दालचीनी या शहद भी मिलाया जाता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) नामक यौगिक इसमें सूजन-रोधी, एंटीऑक्सीडेंट और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण भरपूर मात्रा में प्रदान करता है।

हल्दी दूध पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और यह सर्दी-खांसी, गले में खराश और जुकाम जैसी समस्याओं में राहत दिलाने में सहायक होता है। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है, नींद की गुणवत्ता को बेहतर करता है और त्वचा को भी निखारता है। आयुर्वेद में इसे “नेचुरल हीलर” कहा गया है क्योंकि यह शरीर के अंदरूनी घावों को भी भरने की शक्ति रखता है। खासकर रात को सोने से पहले इसका सेवन शरीर और मन को आराम पहुंचाता है।

  1. कैसे बनाएँ: एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएँ। स्वाद के लिए शहद डाल सकते हैं।
  2. कैसे लें: सोने से पहले पिएँ।
  3. फायदा: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन और दर्द को कम करते हैं।

2. अजवाइन का पानी

अजवाइन का पानी एक पारंपरिक आयुर्वेदिक पेय है जिसे पाचन सुधारने, पेट की गैस, एसिडिटी और सूजन जैसी समस्याओं के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। इसे तैयार करना बहुत ही आसान है – बस एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर रातभर भिगो दें और सुबह इसे उबालकर छान लें। यह पानी पेट की गर्मी को कम करने और मेटाबॉलिज़्म को तेज़ करने में मदद करता है, जिससे वजन घटाने में भी सहायता मिल सकती है।

इसके अलावा, अजवाइन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो गले की खराश, खांसी या सर्दी-जुकाम में राहत देने का काम करते हैं। नियमित रूप से अजवाइन का पानी पीने से शरीर डिटॉक्स होता है और भूख भी नियंत्रित रहती है। यह एक ऐसा घरेलू नुस्खा है जिसे किसी भी उम्र का व्यक्ति अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकता है।

  1. कैसे बनाएँ: 1 चम्मच अजवाइन को 1 गिलास पानी में उबालें और छानकर पिएँ।
  2. कैसे लें: दिन में 1-2 बार।
  3. फायदा: यह दर्द और सूजन को कम करता है।

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3. लहसुन

लहसुन (Garlic) एक ऐसा प्राकृतिक खाद्य तत्व है, जिसे आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही अत्यधिक लाभकारी मानते हैं। इसमें सल्फर युक्त यौगिक एलिसिन पाया जाता है, जो इसे खासतौर पर औषधीय गुण देता है। लहसुन का उपयोग सदियों से हृदय स्वास्थ्य सुधारने, कोलेस्ट्रॉल कम करने, रक्तचाप नियंत्रित करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए किया जाता रहा है।

लहसुन एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है, जिससे यह संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है। रोज सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खाना पाचन को बेहतर करता है और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने में सहायक होता है। यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करता है और त्वचा, बाल, वज़न और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी है।

कैसे लें: सुबह खाली पेट 2-3 लहसुन की कलियाँ चबाएँ या इन्हें तेल में भूनकर खाएँ।

फायदा: लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और दर्द निवारक गुण होते हैं।

4. अश्वगंधा चूर्ण

अश्वगंधा चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जो “भारतीय जिनसेंग” के नाम से भी जानी जाती है। यह औषधि अश्वगंधा (Withania somnifera) नामक पौधे की जड़ को सुखाकर और पीसकर तैयार की जाती है। इसका सेवन शरीर को ताकतवर और ऊर्जावान बनाने में मदद करता है। प्राचीन समय से ही इसका उपयोग मानसिक तनाव को कम करने, नींद की गुणवत्ता बढ़ाने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए किया जाता रहा है।

अश्वगंधा चूर्ण का नियमित सेवन थकान, कमजोरी, मानसिक तनाव और पुरुषों में कमजोरी जैसे मामलों में लाभदायक माना जाता है। यह एक नैचुरल एडाप्टोजेन है, जो शरीर को मानसिक और शारीरिक तनाव से निपटने में मदद करता है। साथ ही, यह हार्मोन संतुलन को सुधारने, मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में भी सहायक हो सकता है। दूध या गुनगुने पानी के साथ इसका सेवन करना सबसे अधिक प्रभावी माना जाता है।

  1. कैसे लें: 1 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को गर्म दूध या पानी के साथ लें।
  2. फायदा: मांसपेशियों को ताकत देता है और दर्द से राहत देता है।

जीवनशैली में बदलाव जो दर्द को रोकें

लंबे समय तक पीठ दर्द से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में ये बदलाव करें:

  1. सही बैठने का तरीका:
    • कुर्सी पर बैठते समय पीठ सीधी रखें।
    • पैरों को जमीन पर सपाट रखें और घुटनों को 90 डिग्री पर मोड़ें।
    • हर 30-40 मिनट में उठकर 1-2 मिनट टहलें।
  2. सही गद्दा और तकिया:
    • मध्यम नरम गद्दा चुनें जो पीठ को सहारा दे।
    • गर्दन को सपोर्ट करने वाला तकिया इस्तेमाल करें।
  3. फोन/लैपटॉप का सही उपयोग:
    • लेटकर या झुककर फोन न चलाएँ।
    • स्क्रीन को आँखों के स्तर पर रखें।
  4. वजन नियंत्रण:
    • संतुलित आहार लें और नियमित व्यायाम करें।
    • मोटापा पीठ पर अतिरिक्त दबाव डbur>
  5. हाइड्रेशन:
    • दिन में 8-10 गिलास पानी पिएँ।
    • यह मांसपेशियों को लचीलापन बनाए रखने में मदद करता है।

कब डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है?

अगर निम्नलिखित लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:

  1. दर्द 3-4 दिन में कम न हो।
  2. दर्द के साथ पैरों में झनझनाहट, सुन्नपन, या कमजोरी।
  3. पेशाब या मल त्याग में दिक्कत।
  4. बुखार या वजन में अचानक कमी।

पीठ दर्द से बचाव के लिए डेली रूटीन

समयक्या करें
सुबहहल्की स्ट्रेचिंग, 15 मिनट वॉक, योग
दोपहरसीधा बैठें, पर्याप्त पानी पिएँ
शामगुनगुना पानी, हीटिंग पैड (अगर ज़रूरी हो)
रातहल्दी दूध, सही मुद्रा में सोना

पीठ दर्द में क्या नहीं करना चाहिए?

  1. अचानक झुककर भारी सामान न उठाएँ।
  2. भारी बैग एक कंधे पर न टांगे।
  3. लंबे समय तक एक ही स्थिति में न रहें।
  4. बिना वार्मअप के भारी व्यायाम न करें।
  5. तनाव और चिंता से बचें, क्योंकि यह मांसपेशियों को तनावग्रस्त करता है।

मानसिक तनाव से बचें

  1. गहरी सांस लें: रोज़ 5-10 मिनट गहरी सांस लेने की प्रैक्टिस करें।
  2. मेडिटेशन: 10 मिनट का मेडिटेशन तनाव कम करता है।
  3. पर्याप्त नींद: 7-8 घंटे की नींद लें।

निष्कर्ष : पीठ के निचले हिस्से के दर्द को जल्दी कैसे दूर करें?

पीठ के निचले हिस्से का दर्द एक आम लेकिन प्रबंधनीय समस्या है। सही उपाय जैसे सिकाई, हल्की एक्सरसाइज, और घरेलू नुस्खों से तुरंत राहत मिल सकती है। साथ ही, सही मुद्रा, स्वस्थ जीवनशैली, और नियमित व्यायाम से इसे दोबारा होने से रोका जा सकता है। अगर दर्द लगातार बना रहे या गंभीर लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। छोटी-छोटी आदतें बदलकर आप अपनी पीठ को स्वस्थ और दर्दमुक्त रख सकते हैं।

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