नमस्कार दोस्तों और साथियों जैसा की आप सभी लोग जानते हैं की बांझपन दूर करने के लिए क्या करना चाहिए -आयुर्वेदिक उपाय?
आज के समय में बांझपन (Infertility) एक आम समस्या बन गई है। यह समस्या पुरुष और महिला दोनों को हो सकती है। जब लंबे समय तक कोशिश करने के बावजूद गर्भधारण न हो पाए, तो इसे बांझपन कहा जाता है। आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेद में भी इस समस्या के लिए प्रभावशाली और प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं, जो शरीर को संतुलित करके गर्भधारण की संभावना को बढ़ाते हैं।
हम जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार किन कारणों से बांझपन होता है और इसके क्या-क्या प्राकृतिक और घरेलू उपचार हो सकते हैं।
जैसा की आप सभी जानते हैं की हम अपने पिछले Articles में भी आपको सेहत से जुड़ी अच्छी सलाह देते आए हैं और आज का ये आर्टिकल भी काफी खास होने वाला है तो इसीलिए आप पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहिए।
आयुर्वेद के अनुसार बांझपन के कारण

आयुर्वेद बांझपन को “वंध्यत्व” कहता है और इसके मूल कारणों को इस प्रकार बताता है:
- दोषों का असंतुलन (वात, पित्त, कफ):
- वात दोष का असंतुलन प्रजनन अंगों को कमजोर कर देता है।
- पित्त दोष हार्मोनल गड़बड़ी ला सकता है।
- कफ दोष से शरीर में ब्लॉकेज और सूजन हो सकती है।
- वात दोष का असंतुलन प्रजनन अंगों को कमजोर कर देता है।
- रज और शुक्र धातु की कमजोरी:
- स्त्रियों में रज (मासिक धर्म) और पुरुषों में शुक्र (वीर्य) की शुद्धता और शक्ति महत्वपूर्ण होती है।
- स्त्रियों में रज (मासिक धर्म) और पुरुषों में शुक्र (वीर्य) की शुद्धता और शक्ति महत्वपूर्ण होती है।
- तनाव और नींद की कमी:
- अत्यधिक मानसिक तनाव और कम नींद से हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं।
- अत्यधिक मानसिक तनाव और कम नींद से हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं।
- गलत खान-पान और जीवनशैली:
- जंक फूड, अत्यधिक ठंडा भोजन, देर से खाना – ये सभी बांझपन को जन्म दे सकते हैं।
- जंक फूड, अत्यधिक ठंडा भोजन, देर से खाना – ये सभी बांझपन को जन्म दे सकते हैं।
आयुर्वेदिक उपाय – पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए
अब जानते हैं कि बांझपन को दूर करने के लिए आयुर्वेद में क्या-क्या उपाय बताए गए हैं:
1. शुद्ध आहार का सेवन करें
- सात्विक भोजन लें: घर का बना ताजा, हल्का और सुपाच्य भोजन खाएं।
- गौ उत्पाद: गाय का दूध, घी और गोमूत्र शरीर को शुद्ध करते हैं।
- सूखे मेवे: बादाम, अखरोट, अंजीर और छुहारे शुक्र धातु को बढ़ाते हैं।
- तिल और सफेद मूसली: ये दोनों गर्भधारण के लिए सहायक माने जाते हैं।
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2. आयुर्वेदिक औषधियां और जड़ी-बूटियां
(i) अश्वगंधा (Ashwagandha):
- यह तनाव को कम करती है, हार्मोन बैलेंस करती है और वीर्य की गुणवत्ता सुधारती है।
- रोज़ाना 1 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण दूध के साथ लें।
(ii) शतावरी (Shatavari):
- महिलाओं के प्रजनन तंत्र को मजबूत करती है।
- मासिक धर्म अनियमित हो तो यह विशेष रूप से फायदेमंद होती है।
(iii) सफेद मूसली:
- पुरुषों के लिए यह वीर्यवर्धक होती है।
- महिलाओं के लिए यह गर्भाशय को पोषण देती है।
(iv) कौंच बीज (Kapikacchu):
- यह पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता बढ़ाता है।
(v) गोक्षुर (Gokshura):
- यह यौन स्वास्थ्य के लिए उत्तम जड़ी-बूटी है।
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3. पंचकर्म चिकित्सा
पंचकर्म आयुर्वेदिक डिटॉक्स प्रक्रिया है जो शरीर को शुद्ध करती है।
- उत्तर बस्ती: यह गर्भाशय और वीर्य वाहिनी नालियों की सफाई के लिए उपयोगी है।
- वमन और विरेचन: दोषों को शरीर से बाहर निकालने में सहायक।
- नस्य: हार्मोनल संतुलन के लिए नाक के माध्यम से औषधि देना।
पंचकर्म चिकित्सा किसी अनुभवी वैद्य की देखरेख में ही करवाएं।
4. योग और प्राणायाम
योग और प्राणायाम से मानसिक शांति मिलती है और हार्मोन बैलेंस रहते हैं।
लाभकारी योगासन:
- सुप्त बद्धकोणासन
- पश्चिमोत्तानासन
- भुजंगासन
- सेतुबंधासन
प्राणायाम:
- अनुलोम-विलोम
- भ्रामरी
- कपालभाति
5. तनाव को दूर रखें
- तनाव गर्भधारण में सबसे बड़ी रुकावट है।
- ध्यान (Meditation) करें।
- भरपूर नींद लें (कम से कम 7-8 घंटे)।
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6. वजन को नियंत्रित करें
- अधिक या बहुत कम वजन, दोनों ही प्रजनन में बाधा डालते हैं।
- आयुर्वेद के अनुसार अग्नि (पाचन शक्ति) को ठीक रखकर वजन नियंत्रित करना चाहिए।
7. सेक्सुअल हेल्थ में सुधार लाएं
- नियमित संबंध बनाएं, लेकिन अत्यधिक वीर्यपात से बचें।
- कामोत्तेजक और जड़ से शक्तिवर्धक दवाओं का सेवन सीमित मात्रा में करें।
8. वात-वर्धक चीजों से बचें
- ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक्स, जंक फूड, बासी भोजन आदि वात दोष को बढ़ाते हैं।
- गर्म और गुनगुने पानी का सेवन करें।
9. गर्भधारण की संभावनाओं वाले दिनों का ध्यान रखें
- स्त्रियों में मासिक धर्म चक्र का 10वां से 18वां दिन सबसे उपयुक्त माना जाता है गर्भधारण के लिए।
महिलाओं के लिए खास टिप्स
- मासिक धर्म अगर अनियमित हो तो पहले उसे ठीक करें।
- थायराइड और PCOD जैसी स्थितियों का आयुर्वेदिक उपचार लें।
- शतावरी और लोध्र युक्त चूर्ण लाभकारी होते हैं।

पुरुषों के लिए खास सुझाव
- शराब, धूम्रपान और नशे से पूरी तरह दूरी बनाएं।
- कौंच बीज, गोक्षुर और अश्वगंधा को दूध के साथ लें।
- ज्यादा गर्म पानी से स्नान करने और टाइट अंडरगारमेंट पहनने से बचें।
निष्कर्ष (Conclusion):बांझपन दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय?
बांझपन कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर और मन के असंतुलन का परिणाम होता है, जिसे संतुलित आहार, जीवनशैली, योग और औषधियों से ठीक किया जा सकता है। सबसे जरूरी है – धैर्य, सकारात्मक सोच, और नियमित दिनचर्या।
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