नमस्कार दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं जैसे की आंखों का पीलापन, जिसे चिकित्सीय भाषा में जॉन्डिस (पीलिया) भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जो अक्सर लोगों को चिंता में डाल देती है। जब हम आईने में अपनी आंखों की सफेदी (स्क्लेरा) को पीला देखते हैं, तो यह न केवल कॉस्मेटिक समस्या हो सकती है, बल्कि शरीर के अंदर किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकती है। यह पीलापन सामान्य थकान या नींद की कमी से लेकर लीवर, पित्ताशय, या खून से जुड़ी गंभीर बीमारियों तक का संकेत हो सकता है। इस लेख में हम आंखों के पीलेपन के कारणों, लक्षणों, निदान, इलाज, और बचाव के तरीकों को विस्तार से समझेंगे। आंखों का पीलापन: कारण, लक्षण, और इलाज

आंखों का पीलापन क्या है?
बिलीरुबिन और उसका प्रभाव
आंखों की सफेदी में पीलापन तब नजर आता है जब शरीर में बिलीरुबिन नामक एक पीले रंग का पदार्थ बढ़ जाता है। बिलीरुबिन लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) के टूटने की प्रक्रिया में बनता है। सामान्य रूप से, लीवर इस बिलीरुबिन को प्रोसेस करके पित्त (bile) के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल देता है। लेकिन जब लीवर ठीक से काम नहीं करता, या पित्त की नलियों में कोई रुकावट होती है, तो बिलीरुबिन खून में जमा हो जाता है। यह जमा हुआ बिलीरुबिन आंखों, त्वचा, और नाखूनों में पीलेपन का कारण बनता है।
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पीलापन केवल आंखों तक सीमित नहीं
हालांकि आंखों का पीलापन सबसे पहले नजर आता है, लेकिन यह पूरे शरीर में फैल सकता है। त्वचा का रंग बदलना, नाखूनों में पीलापन, और कभी-कभी मूत्र का रंग गहरा होना इसके सामान्य लक्षण हैं। यह स्थिति सामान्य कमजोरी से लेकर गंभीर बीमारियों तक की ओर इशारा कर सकती है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
आंखों के पीलेपन के प्रमुख कारण
लीवर से जुड़ी समस्याएं
लीवर आंखों के पीलेपन का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। लीवर की कई बीमारियां बिलीरुबिन के स्तर को बढ़ा सकती हैं, जैसे:
- हेपेटाइटिस: यह वायरल इंफेक्शन (जैसे हेपेटाइटिस A, B, या C) के कारण होता है, जो लीवर में सूजन पैदा करता है और उसकी कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।
- सिरोसिस: यह लीवर की दीर्घकालिक क्षति है, जो अक्सर शराब के अत्यधिक सेवन या लंबे समय तक हेपेटाइटिस के कारण होती है।
- फैटी लीवर: यह गैर-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD) या अल्कोहलिक फैटी लीवर के कारण हो सकता है, जिसमें लीवर में वसा जमा होने से उसका कार्य प्रभावित होता है।
- लीवर कैंसर: गंभीर मामलों में, लीवर में ट्यूमर बिलीरुबिन के प्रोसेसिंग को बाधित कर सकता है।
पित्ताशय और पित्त नलियों की समस्याएं
पित्ताशय (Gallbladder) और पित्त नलियों (Bile Ducts) में रुकावट भी बिलीरुबिन के संचय का कारण बन सकती है। उदाहरण के लिए:
- पित्त की पथरी (Gallstones): ये पथरियां पित्त नलियों को अवरुद्ध कर सकती हैं, जिससे बिलीरुबिन खून में जमा होने लगता है।
- पित्त नलिका में ट्यूमर: कैंसर या अन्य असामान्य वृद्धि नलियों को ब्लॉक कर सकती है।
- पैनक्रियाटिक समस्याएं: पैनक्रियास का कैंसर या सूजन भी पित्त नलियों को प्रभावित कर सकती है।
रक्त से जुड़े कारण
कभी-कभी लाल रक्त कोशिकाओं का असामान्य रूप से टूटना (Hemolysis) भी बिलीरुबिन के स्तर को बढ़ा सकता है। यह स्थिति निम्नलिखित कारणों से हो सकती है:
- सिकल सेल एनीमिया: यह एक अनुवांशिक बीमारी है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य रूप से टूटती हैं।
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर: कुछ बीमारियों में शरीर अपनी ही लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है।
अन्य कारण
कुछ अन्य कारक भी आंखों के पीलेपन का कारण बन सकते हैं, जैसे:
- दवाओं के साइड इफेक्ट्स: कुछ दवाएं, जैसे एंटीबायोटिक्स या स्टेरॉयड, लीवर पर दबाव डाल सकती हैं।
- अनुवांशिक विकार: Gilbert Syndrome जैसे अनुवांशिक रोगों में बिलीरुबिन का स्तर हल्का-फुल्का बढ़ सकता है, लेकिन यह आमतौर पर हानिरहित होता है।
- संक्रमण: मलेरिया जैसे परजीवी संक्रमण भी लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
आंखों के पीलेपन के साथ दिखने वाले लक्षण
आंखों का पीलापन अकेले नहीं आता; इसके साथ कई अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं, जो बीमारी की गंभीरता को समझने में मदद करते हैं। इनमें शामिल हैं:
- थकान और कमजोरी: लगातार थकान और ऊर्जा की कमी महसूस होना।
- भूख में कमी: खाने की इच्छा कम होना या भोजन से अरुचि।
- मूत्र का रंग बदलना: पेशाब का रंग गहरा पीला, भूरा, या चाय जैसा होना।
- पेट में दर्द: विशेष रूप से दाहिनी ओर ऊपरी पेट में दर्द, जहां लीवर और पित्ताशय स्थित होते हैं।
- बुखार: कुछ मामलों में, विशेष रूप से हेपेटाइटिस या संक्रमण के कारण।
- त्वचा में खुजली: पित्त नलियों में रुकावट होने पर त्वचा में खुजली हो सकती है।
- मल का रंग बदलना: मल हल्के रंग का या मिट्टी जैसा हो सकता है।
यदि इनमें से कई लक्षण एक साथ दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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निदान: कारण का पता कैसे लगाएं?
चिकित्सीय जांच
आंखों के पीलेपन का कारण जानने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांचों की सलाह दे सकते हैं:
- लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT): यह खून की जांच लीवर की कार्यक्षमता और बिलीरुबिन के स्तर को मापती है।
- कम्प्लीट ब्लड काउंट (CBC): यह लाल रक्त कोशिकाओं की स्थिति और एनीमिया की जांच करता है।
- हेपेटाइटिस टेस्ट: हेपेटाइटिस वायरस (A, B, C) की मौजूदगी की जांच के लिए।
- अल्ट्रासाउंड: लीवर, पित्ताशय, और पित्त नलियों की स्थिति देखने के लिए।
- सीटी स्कैन या एमआरआई: गंभीर मामलों में ट्यूमर या अन्य रुकावटों की जांच के लिए।
- ERCP: पित्त नलियों की गहरी जांच के लिए एक विशेष प्रक्रिया।
स्व-निदान से बचें
इंटरनेट पर जानकारी पढ़कर स्वयं निदान करने की कोशिश न करें। प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति अलग हो सकती है, और सही निदान के लिए चिकित्सक की सलाह और जांच जरूरी हैं।
इलाज के विकल्प
कारण के आधार पर इलाज
आंखों के पीलेपन का इलाज इसकी जड़ के कारण पर निर्भर करता है:
- हेपेटाइटिस: वायरल हेपेटाइटिस के लिए एंटीवायरल दवाएं दी जा सकती हैं। हेपेटाइटिस A के लिए आमतौर पर सहायक उपचार जैसे पर्याप्त आराम और हाइड्रेशन पर्याप्त होता है।
- पित्त की पथरी: पथरी को हटाने के लिए सर्जरी (Cholecystectomy) या अन्य प्रक्रियाएं की जा सकती हैं।
- लीवर की गंभीर बीमारी: सिरोसिस या लीवर फेल्योर के मामलों में गंभीर उपचार जैसे लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ सकती है।
- अनुवांशिक विकार: Gilbert Syndrome जैसे मामलों में अक्सर कोई विशेष इलाज की जरूरत नहीं होती, लेकिन नियमित निगरानी जरूरी है।
सहायक उपचार
इलाज के साथ-साथ कुछ सहायक उपाय भी अपनाए जा सकते हैं:
- हाइड्रेशन: पर्याप्त पानी पीना लीवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
- डाइट: हल्का और पौष्टिक भोजन लेना, जैसे उबली सब्जियां और फल।
- दवाओं से परहेज: बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें।
घरेलू उपाय: क्या वे प्रभावी हैं?
प्राकृतिक उपचार
हल्के मामलों में, जहां पीलापन डिहाइड्रेशन या मामूली लीवर तनाव के कारण हो, कुछ घरेलू उपाय मददगार हो सकते हैं:
- नींबू पानी: इसमें मौजूद विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट्स लीवर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं।
- नारियल पानी: यह हाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखता है।
- गिलोय और आंवला: ये आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां लीवर की सूजन को कम करने में सहायक हैं।
- तुलसी और शहद: ये इम्युनिटी को बढ़ाते हैं और शरीर की गर्मी को कम करते हैं।
सावधानी
घरेलू उपाय केवल सहायक हो सकते हैं और गंभीर मामलों में इन्हें मुख्य इलाज का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। यदि पीलापन कई दिनों तक बना रहे या अन्य लक्षण दिखें, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें।
आहार और जीवनशैली में बदलाव
क्या खाएं?
लीवर को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार जरूरी है:
- ताजे फल और सब्जियां: गाजर, चुकंदर, पपीता, और आंवला लीवर के लिए फायदेमंद हैं।
- हरी पत्तेदार सब्जियां: पालक, मेथी, और बथुआ लीवर को पोषण देते हैं।
- हल्का भोजन: उबला हुआ चावल, खिचड़ी, और दाल जैसे हल्के भोजन लीवर पर दबाव कम करते हैं।
- पर्याप्त पानी: रोजाना 8-10 गिलास पानी पीना जरूरी है।
क्या न खाएं?
लीवर की सेहत के लिए कुछ चीजों से परहेज करना जरूरी है:
- तली-भुनी चीजें: फ्रेंच फ्राइज़, समोसे, और तेल-मसाले वाले खाने लीवर पर दबाव डालते हैं।
- शराब और धूम्रपान: ये लीवर को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।
- अनावश्यक दवाएं: बिना डॉक्टर की सलाह के पेनकिलर या अन्य दवाएं न लें।
- प्रोसेस्ड फूड: जंक फूड और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों से बचें।
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बचाव के उपाय
स्वच्छता और वैक्सीन
आंखों के पीलेपन और इससे जुड़ी बीमारियों से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:
- साफ पानी: हमेशा शुद्ध और उबला हुआ पानी पिएं, खासकर बरसात के मौसम में।
- वैक्सीन: हेपेटाइटिस A और B से बचाव के लिए वैक्सीन जरूर लगवाएं।
- नियमित जांच: समय-समय पर लिवर फंक्शन टेस्ट और हेल्थ चेकअप करवाएं।

जीवनशैली में बदलाव
- संतुलित आहार: ताजा और पौष्टिक भोजन खाएं।
- व्यायाम: नियमित व्यायाम लीवर की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है।
- तनाव प्रबंधन: योग और ध्यान से तनाव कम करें, क्योंकि तनाव भी लीवर को प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष : आंखों का पीलापन: कारण, लक्षण, और इलाज
आंखों का पीलापन एक सामान्य-सी दिखने वाली समस्या हो सकती है, लेकिन यह शरीर के अंदर गंभीर समस्याओं का संकेत भी हो सकती है। यह लीवर, पित्ताशय, या रक्त से जुड़ी बीमारियों की ओर इशारा कर सकता है। सही समय पर जांच और इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। घरेलू उपाय और स्वस्थ जीवनशैली लीवर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं, लेकिन गंभीर लक्षणों के लिए चिकित्सक की सलाह जरूरी है। अपनी आंखों को शरीर की सेहत का आईना मानें और किसी भी बदलाव को हल्के में न लें। समय पर कदम उठाकर आप बड़ी बीमारियों से बच सकते हैं।
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