नमस्कार दोस्तों ,जैसा की आप सभी लोग जानते हैं ,जैसे की बढ़ते समय के साथ ही कमर दर्द के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज कौन सी है यह समस्या अक्सर तर बढ़ती जा रही है,तो कमर दर्द के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज? तो आज मै इस आर्टिकल के जारिए से कुछ जानकारियाँ देना चाहता हूँ। जैसे की कमर दर्द के लिए कौन एक्सरसाइज अच्छा माना जाता है यह एक बड़ी समस्या है। तो जानते हैं इन समस्याओं से कैसे लड़ना है?
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कमर दर्द (Lower Back Pain) एक ऐसी समस्या बन चुकी है, जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। चाहे आप ऑफिस में घंटों बैठकर काम करते हों, भारी सामान उठाते हों, या गलत तरीके से व्यायाम करते हों, कमर दर्द आपकी दिनचर्या को बाधित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, लगभग 60-70% लोग अपने जीवन में कभी न कभी कमर दर्द का सामना करते हैं। यह दर्द न केवल शारीरिक रूप से तकलीफ देता है, बल्कि मानसिक तनाव और कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है।
लेकिन अच्छी खबर यह है कि सही एक्सरसाइज और जीवनशैली में बदलाव के साथ कमर दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस लेख में हम आपको कमर दर्द के लिए सबसे प्रभावी एक्सरसाइज, सावधानियाँ, और अन्य जरूरी जानकारी देंगे।
कमर दर्द के कारण क्या हैं?
कमर दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- गलत पोस्चर: लंबे समय तक गलत तरीके से बैठना या खड़े रहना।
- मांसपेशियों में खिंचाव: भारी वजन उठाने या अचानक झटके से।
- डिस्क प्रॉब्लम: स्लिप डिस्क या डिस्क हर्नियेशन।
- बैठा हुआ लाइफस्टाइल: शारीरिक गतिविधि की कमी।
- तनाव: मानसिक तनाव से मांसपेशियाँ तन जाती हैं।
- मोटापा: अतिरिक्त वजन से रीढ़ पर दबाव।
- चोट या बीमारी: जैसे सायटिका, गठिया, या ऑस्टियोपोरोसिस।
इन कारणों को समझकर सही दिशा में कदम उठाना जरूरी है। एक्सरसाइज इस समस्या का सबसे प्राकृतिक और प्रभावी समाधान है।

कमर दर्द के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज
नीचे हमने कुछ ऐसी एक्सरसाइज और योगासनों की सूची दी है, जो कमर दर्द में राहत दिलाने में कारगर हैं। इन्हें करने से पहले किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक या फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लेना बेहतर है।
1. कैट-काउ पोज़ (Marjaryasana–Bitilasana)
कैट-काउ पोज़ एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावी योगासन है, जिसमें दो मुद्राएं – मरजरीआसन (बिल्ली मुद्रा) और बिटिलआसन (गाय मुद्रा) – एक के बाद एक मिलकर किए जाते हैं। यह आसन मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी, गर्दन और पीठ की लचीलापन बढ़ाने में मदद करता है। सांसों के साथ लय में यह मुद्रा शरीर और मन को संतुलन देती है, इसलिए इसे अक्सर योगाभ्यास की शुरुआत में वॉर्म-अप के रूप में किया जाता है।
कैट-काउ पोज़ से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और पीठ के दर्द में राहत मिलती है। यह पेट के अंगों की मालिश करता है जिससे पाचन क्रिया सुधरती है। साथ ही यह मुद्रा मानसिक तनाव को कम कर, मस्तिष्क को शांत करने में मदद करती है। ऑफिस वर्क या लंबे समय तक बैठने वाले लोगों के लिए यह आसन विशेष रूप से लाभदायक है क्योंकि यह कमर की जकड़न और अकड़न को दूर करता है।
कैसे करें?
- अपने हाथों और घुटनों के बल जमीन पर आएं, जैसे चार पैरों पर चलने की मुद्रा।
- श्वास लेते समय रीढ़ को नीचे की ओर झुकाएं और सिर को ऊपर उठाएं (Cow Pose)।
- श्वास छोड़ते समय रीढ़ को ऊपर की ओर गोल करें और सिर को नीचे करें (Cat Pose)।
- इस प्रक्रिया को 10-15 बार धीरे-धीरे दोहराएं।
लाभ:
- रीढ़ की हड्डी को लचीलापन मिलता है।
- कमर की मांसपेशियों में खिंचाव कम होता है।
- रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे अकड़न दूर होती है।
सावधानी: इसे धीरे करें और अगर दर्द बढ़े, तो तुरंत रुक जाएं।
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2. ब्रिज पोज़ (Setu Bandhasana)
ब्रिज पोज़ जिसे संस्कृत में सेतु बंधासन कहा जाता है, एक प्रभावशाली योगासन है जिसमें शरीर का आकार एक पुल (ब्रिज) जैसा बनता है। यह आसन पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ते हुए, कूल्हों और छाती को ऊपर उठाकर किया जाता है। यह मुद्रा रीढ़ की हड्डी को मजबूती देती है और शरीर में लचीलापन लाने में मदद करती है। इसे खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी माना जाता है जिन्हें पीठ दर्द, थकान या चिंता की समस्या होती है
सेतु बंधासन करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और यह आसन पेट के अंगों की मालिश करके पाचन को सुधारता है। यह थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय करता है जिससे हार्मोन बैलेंस में मदद मिलती है। मानसिक रूप से यह आसन तनाव और अवसाद को दूर करने में सहायक होता है क्योंकि यह मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। साथ ही यह छाती, गर्दन और रीढ़ में खिंचाव लाकर रक्त संचार को बेहतर बनाता है। नियमित अभ्यास से यह आसन महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता और रजोनिवृत्ति से जुड़ी समस्याओं में भी राहत देता है।
कैसे करें?
- पीठ के बल लेट जाएं और घुटनों को मोड़ लें, पैर जमीन पर सपाट रहें।
- हाथों को शरीर के पास रखें और धीरे-धीरे पेल्विस (कूल्हों) को ऊपर उठाएं।
- 5-10 सेकंड तक इस स्थिति में रुकें, फिर धीरे-धीरे नीचे आएं।
- इसे 10-12 बार दोहराएं।
लाभ:
- लोअर बैक और हिप्स की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
- रीढ़ की स्थिर
- सायटिका में राहत मिलती है।
सावधानी: पेल्विस को बहुत ज्यादा ऊपर न उठाएं, इससे दबाव पड़ सकता है।
3. चाइल्ड पोज़ (Balasana)
चाइल्ड पोज़, जिसे संस्कृत में बालासन कहा जाता है, योग का एक बहुत ही सरल और आरामदायक आसन है। यह विशेष रूप से शरीर और मन को शांत करने के लिए किया जाता है। इस आसन में शरीर बच्चे की मुद्रा में झुकता है, जिससे इसका नाम ‘बालासन’ पड़ा। इसे योगाभ्यास के बीच या अंत में विश्राम के लिए किया जाता है। यह रीढ़ की हड्डी, कंधों और गर्दन को खिंचाव देता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
यह पोज़ पाचन तंत्र को भी सुधारने में सहायक होता है क्योंकि पेट की तरफ झुकने से आंतरिक अंगों पर हल्का दबाव पड़ता है। यह थकान, चिंता और सिरदर्द को दूर करने में भी मदद करता है। गर्भवती महिलाओं और घुटनों की चोट वालों को यह पोज़ डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए। बालासन नियमित रूप से करने से शरीर लचीला बनता है और मन को गहराई से शांति मिलती है।
कैसे करें?
- वज्रासन में बैठें और धीरे-धीरे अपने धड़ को आगे की ओर झुकाएं।
- माथा जमीन पर रखें और हाथों को आगे की ओर फैलाएं।
- 30 सेकंड से 1 मिनट तक इस स्थिति में रहें, गहरी सांस लें।
लाभ:
- रीढ़ की नसों को आराम मिलता है।
- मानसिक और शारीरिक तनाव कम होता है।
- कमर की जकड़न को कम करता है।
सावधानी: अगर घुटनों में दर्द हो, तो इस आसन को न करें।
4. नी टू चेस्ट स्ट्रेच (Knee to Chest Stretch)
नी टू चेस्ट स्ट्रेच एक सरल लेकिन प्रभावी स्ट्रेचिंग व्यायाम है, जो पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों की मांसपेशियों को खींचने में मदद करता है। इस स्ट्रेच को करने से पीठ दर्द, खासकर लम्बर रीजन (lower back) में राहत मिलती है और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है। इसे ज़मीन पर लेटकर किया जाता है, जहां एक पैर को घुटने से मोड़कर छाती की ओर खींचा जाता है और कुछ सेकंड्स तक पकड़ा जाता है।
यह स्ट्रेच खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी है जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं या जिनकी पीठ में अकड़न रहती है। नी टू चेस्ट स्ट्रेच रक्त संचार को भी बेहतर बनाता है और शरीर को लचीला बनाए रखने में सहायक होता है। इसे सुबह और रात दोनों समय किया जा सकता है, लेकिन हमेशा किसी भी एक्सरसाइज को करते समय धीरे-धीरे और नियंत्रित ढंग से करना चाहिए।
कैसे करें?
- पीठ के बल लेट जाएं और एक पैर को मोड़कर छाती की ओर लाएं।
- पैर को दोनों हाथों से पकड़ें और 15-20 सेकंड तक होल्ड करें।
- धीरे-धीरे पैर नीचे लाएं और दूसरे पैर के साथ दोहराएं।
लाभ:
- लोअर बैक की मांसपेशियों में खिंचाव कम होता है।
- रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे दर्द में राहत मिलती है।
- रीढ़ को लचीला बनाता है।
सावधानी: इसे धीरे करें और ज्यादा जोर न लगाएं।
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5. पेल्विक टिल्ट (Pelvic Tilt Exercise)
पेल्विक टिल्ट एक सरल लेकिन प्रभावी व्यायाम है जो रीढ़, पेट और निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। यह व्यायाम विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जिन्हें कमर दर्द, गर्भावस्था के दौरान पीठ में तनाव या रीढ़ की हड्डी की समस्याएं होती हैं। इस एक्सरसाइज में पीठ के बल लेटकर धीरे-धीरे श्रोणि (pelvis) को ऊपर की ओर झुकाया जाता है और फिर वापस सामान्य स्थिति में लाया जाता है। यह प्रक्रिया रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से को रिलैक्स करती है और कोर मसल्स को एक्टिव करती है।
नियमित रूप से पेल्विक टिल्ट करने से शरीर का पोस्चर सुधरता है, पीठ की अकड़न में राहत मिलती है और गर्भवती महिलाओं के लिए यह प्रसव की तैयारी में मददगार साबित होती है। इसे करते समय धीमी गति, गहरी सांस और ध्यानपूर्वक मूवमेंट बेहद जरूरी है, ताकि अधिकतम लाभ मिल सके और किसी प्रकार की मांसपेशीय खिंचाव से बचा जा सके।
कैसे करें?
- पीठ के बल लेटें और घुटनों को मोड़ लें।
- पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ें और पेल्विस को थोड़ा ऊपर उठाएं।
- 5-10 सेकंड होल्ड करें और फिर रिलीज़ करें।
लाभ:
- कोर मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
- रीढ़ का संरेखण बेहतर होता है।
- कमर दर्द में राहत मिलती है।
सावधानी: पेट की मांसपेशियों पर ध्यान दें, कमर पर ज्यादा दबाव न डालें।
6. कोबरा पोज़ (Bhujangasana)
कोबरा पोज़, जिसे संस्कृत में भुजंगासन कहा जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाने में मदद करता है। इस आसन में व्यक्ति अपने शरीर को पेट के बल लेटकर, ऊपर की ओर उठाकर, कोबरा (सांप) के फन जैसी आकृति बनाता है। यही कारण है कि इसे “कोबरा पोज़” कहा जाता है। यह योगासन विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से, छाती और कंधों के लिए लाभकारी होता है।
भुजंगासन करने से शारीरिक लाभ के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिलती है। यह आसन न केवल मेरुदंड को सक्रिय करता है, बल्कि फेफड़ों की कार्यक्षमता भी बढ़ाता है। जिन लोगों को कमर दर्द, थकान या कब्ज की समस्या होती है, उनके लिए यह आसन अत्यंत लाभकारी माना जाता है। नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और तनाव भी कम होता है।
कैसे करें?
- पेट के बल लेटें और हथेलियों को कंधों के नीचे रखें।
- श्वास लेते समय सिर और छाती को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।
- 10-15 सेकंड तक होल्ड करें और धीरे नीचे आएं।
लाभ:
- रीढ़ को स्ट्रेच करता है।
- सायटिका और डिस्क प्रेशर में राहत देता है।
- कमर की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
सावधानी: ज्यादा ऊपर न उठें, इससे कमर पर दबाव पड़ सकता है।
7. सुपाइन ट्विस्ट (Supta Matsyendrasana)
सुपाइन ट्विस्ट, जिसे संस्कृत में सुप्त मत्स्येन्द्रासन कहा जाता है, एक शांत, पुनर्स्थापित करने वाला योगासन है जो रीढ़ की लचीलापन बढ़ाने, पाचन को सुधारने और तनाव को कम करने में मदद करता है। इस आसन में शरीर पीठ के बल लेटकर एक पैर को मोड़कर दूसरी दिशा में ले जाकर ट्विस्ट किया जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी में गहराई से खिंचाव आता है। यह आसन विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो दिनभर कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं।
यह योग मुद्रा न केवल रीढ़ और कंधों को आराम देती है, बल्कि शरीर के भीतर जमा विषाक्त तत्वों को भी बाहर निकालने में सहायक मानी जाती है। सुपाइन ट्विस्ट को करने से तंत्रिका तंत्र शांत होता है, जिससे नींद में सुधार आता है और मानसिक तनाव भी घटता है। नियमित अभ्यास करने से यह आसन शरीर के अंदर ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने में मदद करता है।
कैसे करें?
- पीठ के बल लेटें, एक पैर को मोड़ें और उसे विपरीत दिशा में ले जाएं।
- सिर को दूसरी दिशा में घुमाएं और 20-30 सेकंड तक रुकें।
- दूसरी तरफ दोहराएं।
लाभ:
- रीढ़ की जकड़न को कम करता है।
- रक्त संचार बढ़ाता है।
- हिप्स और लोअर बैक को रिलीज़ करता है।
सावधानी: इसे धीरे करें और अगर दर्द हो, तो रुक जाएं।
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8. हल्की वाकिंग या कार्डियो
हल्की वाकिंग या कार्डियो एक आसान लेकिन बेहद असरदार एक्सरसाइज है, जो हर उम्र के व्यक्ति के लिए फायदेमंद होती है। यह दिल की सेहत को सुधारने, वजन घटाने, तनाव कम करने और ऊर्जा बढ़ाने में मदद करती है। सुबह-शाम 20 से 30 मिनट की हल्की चाल में वॉकिंग करने से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है और मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं।
कार्डियो एक्सरसाइज जैसे कि तेज चलना, साइक्लिंग या धीमा दौड़ना, आपके हृदय और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है। खास बात यह है कि इसे किसी जिम या महंगे उपकरण के बिना भी घर के आसपास आसानी से किया जा सकता है। नियमित हल्की कार्डियो गतिविधियां करने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
कैसे करें?
- रोजाना 20-30 मिनट तेज चाल से चलें।
- हल्की साइक्लिंग या स्विमिंग भी कर सकते हैं।
लाभ:
- मांसपेशियाँ सक्रिय रहती हैं।
- वजन नियंत्रित रहता है, जिससे कमर पर दबाव कम होता全民
सावधानी: ज्यादा तेज न चलें और आरामदायक जूते पहनें।
एक्सरसाइज करते समय सावधानियाँ
कमर दर्द के लिए एक्सरसाइज करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- धीमी शुरुआत करें: अचानक जोरदार व्यायाम से बचें।
- दर्द होने पर रुकें: अगर दर्द बढ़े, तो तुरंत व्यायाम बंद करें।
- वार्म-अप करें: एक्सरसाइज से पहले 5-10 मिनट का हल्का वार्म-अप जरूरी है।
- सही श्वास तकनीक: सही समय पर सांस लें और छोड़ें।
- प्रशिक्षक की सलाह: शुरुआत में योग्य प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में अभ्यास करें।
कब जाएँ डॉक्टर के पास?
निम्नलिखित लक्षणों के साथ तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें:
- दर्द 2 हफ्तों से अधिक समय तक बना रहे।
- पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी महसूस हो।
- चलने में कठिनाई या कमजोरी हो।
- मल-मूत्र पर नियंत्रण न रहे।
- बुखार या वजन घटने जैसे लक्षण हों।

दही, पनीर, तिल, बादाम।
- मैग्नीशियम और पोटैशियम: केला, पालक, ड्राई फ्रूट्स।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड: अलसी, अखरोट, मछली।
क्या न खाएं?
- प्रोसेस्ड और जंक फूड।
- ज्यादा नमक और चीनी युक्त भोजन।
- तला हुआ और भारी भोजन।
निष्कर्ष: कमर दर्द के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज?
कमर दर्द को नजरअंदाज करना भविष्य में गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है। नियमित रूप से कैट-काउ, ब्रिज पोज़, चाइल्ड पोज़, और नी टू चेस्ट जैसी एक्सरसाइज करने से कमर की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और दर्द में राहत मिलती है। इसके साथ ही, सही आहार, उचित पोस्चर, और नियमित गतिविधियाँ भी जरूरी हैं। अगर दर्द बिगड़ता है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
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