महिलाओं में कैल्शियम की कमी के लक्षण (Symptoms of Calcium Deficiency in Women)

नमस्कार दोस्तों और साथियों जैसा की आप सभी लोग जानते हैं की महिलाओं मे कैल्शियम की कमी से कौन कौन से लक्षण हो सकतें हैं। महिलाओं के शरीर के लिए बेहद जरूरी खनिज है, जो हड्डियों, दांतों, मांसपेशियों, तंत्रिका तंत्र और हार्मोन संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है, तो इसका असर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर दिखने लगता है। यह समस्या खासकर महिलाओं में अधिक देखी जाती है, विशेषकर गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति (menopause) और 40 की उम्र के बाद।

जैसा की आप सभी जानते हैं की हम अपने पिछले Articles में भी आपको सेहत से जुड़ी अच्छी सलाह देते आए हैं और आज का ये आर्टिकल भी काफी खास होने वाला है तो इसीलिए आप पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहिए।

आओ  विस्तार से जानते हैं महिलाओं में कैल्शियम की कमी के प्रमुख लक्षण:

 1. हड्डियों में दर्द और कमजोरी

जब से थोड़ी उम्र बढ़ी है,हड्डियों में अजीब सा दर्द और कमजोरी महसूस होने लगी है। पहले तो थकावट समझ कर नजरअंदाज कर दिया, लेकिन अब तो सुबह उठते ही पीठ और घुटनों में अकड़न सी रहने लगी है। सीढ़ियाँ चढ़ना या थोड़ा भारी काम करना भी मुश्किल लगने लगा है। ऐसा लगता है जैसे शरीर अब पहले जैसा मज़बूत नहीं रहा। डॉक्टर ने बताया कि ये हड्डियों में कैल्शियम और विटामिन D की कमी से हो सकता है। अब कोशिश कर रही हूँ कि खाने में दूध, दही, पनीर और हरी सब्जियाँ ज़्यादा शामिल करूँ, ताकि हड्डियों को थोड़ी राहत मिल सके।

जैसे 

  1. अक्सर पीठ, कमर, कूल्हों या घुटनों में दर्द रहने लगता है।
  2. थोड़ी मेहनत करने पर भी थकान महसूस होती है।
  3. सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में दिक्कत होती है।
  4. यह संकेत हो सकता है कि हड्डियां कमजोर हो रही हैं।

2. मांसपेशियों में ऐंठन और झटके

कई बार अचानक मांसपेशियों में ऐंठन या झटके आ जाना एक बहुत ही परेशान करने वाला अनुभव होता है। ये आमतौर पर तब होता है जब हमारी मांसपेशियां जरूरत से ज्यादा थक जाती हैं, शरीर में पानी या मिनरल्स की कमी हो जाती है, खासकर कैल्शियम, मैग्नीशियम या पोटैशियम की कमी। कभी-कभी देर तक बैठे रहना, एक ही पोजीशन में सो जाना या ज्यादा एक्सरसाइज भी इसकी वजह बन सकती है। ये झटके खासकर रात में सोते समय या सुबह उठते ही महसूस होते हैं, और अचानक मांसपेशी कसने लगती है जिससे दर्द होने लगता है। अगर ये बार-बार हो रहा है, तो शरीर को आराम देना, पर्याप्त पानी पीना और पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है।

जैसे

  1. पैरों और बाजुओं में अकड़न आना या मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होना।
  2. कभी-कभी अचानक झटके जैसे मूवमेंट होना।
  3. खासकर रात में सोते समय या सुबह उठते वक्त यह लक्षण ज्यादा दिखाई देते हैं।

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 3. दांतों से जुड़ी समस्याएं

दांतों से जुड़ी समस्याएं आजकल बहुत आम हो गई हैं। खानपान की गलत आदतें, मीठा ज्यादा खाना और सही ढंग से ब्रश न करना इसके मुख्य कारण हैं। अक्सर लोगों को दांतों में दर्द, मसूड़ों से खून आना, बदबूदार सांस या दांतों में कीड़ा लगने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार तो दर्द इतना तेज होता है कि रात को नींद भी नहीं आती। अगर समय रहते इलाज न कराया जाए तो ये छोटी-सी लगने वाली परेशानियाँ आगे चलकर रूट कैनाल या दांत निकालने जैसी स्थिति तक पहुंचा देती हैं। इसलिए रोजाना दो बार ब्रश करना, माउथवॉश का इस्तेमाल करना और समय-समय पर डेंटिस्ट से चेकअप कराना बहुत ज़रूरी है। 

जैसे 

  1. दांतों का कमजोर होना या जल्दी सड़ जाना।
  2. मसूड़ों से खून आना या उनका कमजोर पड़ना।
  3. दांतों में दर्द, झनझनाहट और झड़ने की संभावना।

 4. बार-बार थकान और सुस्ती

बार-बार थकान और सुस्ती होना अब मेरी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। सुबह उठते ही शरीर भारी लगता है, जैसे पूरी रात सोने के बाद भी आराम नहीं मिला हो। काम में मन नहीं लगता, हर वक्त एक अजीब सी कमजोरी और आलस घेरे रहते हैं। पहले सोचा था शायद नींद पूरी नहीं हो रही या तनाव की वजह से ऐसा हो रहा है, लेकिन अब ये थकान इतनी बढ़ गई है कि छोटी-सी चीज भी करने में हिम्मत नहीं जुटती। शरीर तो थकता ही है, मन भी अक्सर चिड़चिड़ा और खाली-खाली सा लगता है। ऐसा महसूस होता है जैसे अंदर से कोई ऊर्जा खत्म होती जा रही हो।

जैसे 

  1. कैल्शियम की कमी से शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है।
  2. बिना ज्यादा काम किए भी थकावट महसूस होती है।
  3. मानसिक थकावट और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है।

 5. बेचैनी और नींद की कमी

कई दिनों से मन में एक अजीब सी बेचैनी बनी हुई है, जैसे सब कुछ होते हुए भी कुछ अधूरा है। रात को बिस्तर पर जाते ही आंखों में नींद नहीं आती, बस करवटें बदलता रहता हूं। दिमाग एक पल के लिए भी शांत नहीं होता—कभी बीते हुए पलों की यादें सताती हैं, तो कभी आने वाले कल की फिक्र। जब सब सो रहे होते हैं, तब भी मेरी आंखें छत को घूर रही होती हैं। ऐसा लगता है जैसे नींद मुझसे रूठ गई है और हर रात वही खालीपन और थकावट मेरे साथ रह जाती है।

जैसे 

  1. शरीर में कैल्शियम कम होने पर मस्तिष्क को भी असर होता है।
  2. बेचैनी, चिड़चिड़ापन और चिंता महसूस होती है।
  3. नींद टूटती रहती है या नींद जल्दी नहीं आती।

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 6. नाखूनों और बालों में बदलाव

अक्सर मैंने महसूस किया है कि जब शरीर में कोई अंदरूनी कमी होती है, तो उसका असर सबसे पहले हमारे नाखूनों और बालों पर दिखता है। जैसे मेरे नाखून पहले मज़बूत और चमकदार थे, लेकिन अब थोड़े टूटने लगे हैं और उन पर सफेद धब्बे भी दिखने लगे हैं। वहीं बालों में भी पहले जितनी चमक नहीं रही, बाल झड़ने भी लगे हैं और सिर की स्किन कभी-कभी सूखी लगती है। डॉक्टर ने बताया कि ये सब संकेत हो सकते हैं शरीर में पोषक तत्वों की कमी के, खासकर बायोटिन, आयरन और प्रोटीन की। अब मैं खाने-पीने का ज्यादा ध्यान रख रहा हूँ ताकि ये बदलाव धीरे-धीरे ठीक हो सकें।

जैसे 

  1. नाखून कमजोर और आसानी से टूटने लगते हैं।
  2. बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं।
  3. बालों का गिरना भी एक संकेत हो सकता है।

 7. हृदय संबंधी समस्याएं

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी और अनियमित दिनचर्या के कारण हृदय संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। पहले जो बीमारियां केवल उम्रदराज़ लोगों में देखी जाती थीं, अब वह युवाओं में भी आम होती जा रही हैं। गलत खान-पान, तनाव, धूम्रपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके मुख्य कारण हैं। दिल की धड़कनों का असामान्य होना, छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती हैं, लेकिन ये दिल की बीमारी के संकेत हो सकते हैं। समय रहते जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हृदय रोगों से बचा जा सकता है।

जैसे 

  1. कैल्शियम की कमी से हृदय की धड़कन अनियमित हो सकती है।
  2. दिल की धड़कन तेज या धीमी महसूस होना।
  3. लंबे समय तक कमी रहने पर हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है।

 8. पीरियड्स में गड़बड़ी

पीरियड्स में गड़बड़ी होना एक आम बात है लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। कभी-कभी समय से पहले या बहुत देर से आना, ज्यादा ब्लीडिंग होना या बहुत कम आना, पेट में तेज़ दर्द या हार्मोनल बदलाव – ये सब चीजें हमारी दिनचर्या और मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करती हैं। मेरे खुद के अनुभव में, जब मेरे पीरियड्स अनियमित होने लगे थे, तो मैं बहुत तनाव में आ गई थी। कभी-कभी दो महीने तक कुछ नहीं होता और फिर अचानक बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो जाती। डॉक्टर ने बताया कि ये हार्मोनल असंतुलन, खानपान की गड़बड़ी और स्ट्रेस की वजह से हो सकता है। मैंने अपने खाने-पीने पर ध्यान दिया, एक्सरसाइज शुरू की और धीरे-धीरे स्थिति सुधरने लगी। ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी बॉडी के संकेतों को समझें और समय रहते डॉक्टर से सलाह लें।

जैसे 

  1. कैल्शियम की कमी से हार्मोन असंतुलन होता है।
  2. अनियमित मासिक धर्म या पीरियड्स का मिस होना।
  3. अधिक दर्द और मूड स्विंग्स भी देखे जा सकते हैं।

 9. चलने में असंतुलन या गिरने का डर

कुछ समय से मुझे चलने में अजीब सा असंतुलन महसूस होने लगा है। ऐसा लगता है जैसे जमीन कभी-कभी खिसक रही हो, या पैर अपनी जगह पर ठीक से टिक नहीं पा रहे हों। खासकर जब अकेले बाहर निकलता हूँ तो गिरने का डर सताता है। सीढ़ियाँ चढ़ते वक्त या भीड़भाड़ वाली जगहों पर ये डर और बढ़ जाता है कि कहीं संतुलन न बिगड़ जाए। पहले कभी ऐसा नहीं होता था, लेकिन अब ये डर मन में घर कर गया है और हर कदम सोच-समझकर रखना पड़ता है।

जैसे 

  1. हड्डियों की कमजोरी से शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है।
  2. वृद्ध महिलाओं में यह फ्रैक्चर का कारण भी बन सकता है।

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 10. गर्भवती महिलाओं के लिए खतरे

गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे बड़ा खतरा तब होता है जब उन्हें अपनी सेहत से जुड़ी छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जैसे अगर समय पर खून की जांच न कराई जाए, या ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो और ध्यान न दिया जाए, तो ये माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। कई बार खानपान की कमी या तनाव भी गर्भपात या समय से पहले डिलीवरी का कारण बन सकता है। इसलिए गर्भावस्था में हर छोटी बात को गंभीरता से लेना चाहिए, चाहे वो थकान हो, पेट दर्द हो या ब्लीडिंग—हर लक्षण डॉक्टर से शेयर करना जरूरी है, क्योंकि यह न केवल माँ की ज़िंदगी बल्कि अजन्मे बच्चे की सुरक्षा से जुड़ा होता है।

जैसे 

  1. भ्रूण के विकास में रुकावट आ सकती है।
  2. मां की हड्डियों में कमजोरी और बाद में ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना।
  3. दांतों और पीठ में तेज दर्द।

कैल्शियम की कमी का कारण

  1. खानपान में कैल्शियम युक्त चीजों की कमी
  2. विटामिन D की कमी (जो कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है)
  3. बढ़ती उम्र
  4. शारीरिक गतिविधि की कमी
  5. थायरॉइड या किडनी की बीमारी
  6. गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान अधिक जरूरत

क्या करें? (समाधान)

  1. कैल्शियम से भरपूर आहार लें जैसे दूध, दही, पनीर, हरी सब्जियां, टोफू, बादाम, तिल आदि।
  2. सुबह की धूप में 15-20 मिनट समय बिताएं ताकि शरीर को विटामिन D मिले।
  3. डॉक्टर से परामर्श लेकर कैल्शियम सप्लीमेंट लें (यदि आवश्यक हो)।
  4. नियमित व्यायाम करें, विशेषकर वेट बियरिंग एक्सरसाइज़।
  5. समय-समय पर कैल्शियम और विटामिन D की जांच कराएं।

निष्कर्ष (Conclusion): महिलाओं में कैल्शियम की कमी के लक्षण (Symptoms of Calcium Deficiency in Women)

महिलाओं में कैल्शियम की कमी एक आम लेकिन गंभीर समस्या है। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए, तो हड्डियों की कमजोरी से लेकर हार्मोनल असंतुलन और हृदय संबंधी परेशानियाँ भी हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि लक्षणों को नजरअंदाज न करें और संतुलित आहार और लाइफस्टाइल के जरिए इस कमी को दूर करें।

महिलाओं में कैल्शियम की कमी के लक्षण (Symptoms of Calcium Deficiency in Women)

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