नमस्कार दोस्तों जैसा की आप सभी लोग जानते हैं जैसे की बढ़ते समय के साथ ही आंतों मे कौन-कौन सा रोग हो सकता हैं? यह समस्या अक्सर तर बढ़ती जा रही है तो आंतों में कौन-कौन से रोग हो सकते हैं? तो जैसा की आप सभी लोग जानते हैं की हम अपने पिछले Articles में भी आपको सेहत से जुड़ी अच्छी सलाह देते आए हैं और आज का ये आर्टिकल भी काफी खास होने वाला है तो इसीलिए आप पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहिए।
आंतें हमारे पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो भोजन को पचाने और पोषक तत्वों को शरीर में अवशोषित करने का काम करती हैं। लेकिन कई बार गलत खानपान, तनाव, या अन्य कारणों से आंतों में विभिन्न रोग हो सकते हैं। ये रोग हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं और अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो ये जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। इस लेख में हम आंतों में होने वाले प्रमुख रोगों, उनके लक्षणों, कारणों, और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह जानकारी आपको अपनी सेहत का बेहतर ख्याल रखने में मदद करेगी।

आंतों के रोग क्या हैं?
आंतों के रोग वे स्वास्थ्य समस्याएँ हैं जो छोटी आंत (Small Intestine) या बड़ी आंत (Large Intestine) को प्रभावित करती हैं। ये रोग कई कारणों से हो सकते हैं, जैसे बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन, खराब जीवनशैली, अनुवांशिक कारक, या तनाव। कुछ रोग अस्थायी होते हैं, जबकि कुछ दीर्घकालिक (Chronic) हो सकते हैं। आइए, आंतों में होने वाले प्रमुख रोगों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1. आंतों में गैस (Intestinal Gas / Flatulence)
लक्षण:
- पेट में फूलन
- बार-बार डकार आना
- पेट में हल्का दर्द या ऐंठन
- गैस पास होने में परेशानी
कारण:
आंतों में गैस बनना एक सामान्य समस्या है, जो अक्सर गलत खानपान के कारण होती है। फाइबर युक्त भोजन, जैसे गोभी, ब्रोकली, या दालें, अधिक खाने से गैस बन सकती है। इसके अलावा, जल्दी खाना खाने या कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पीने से भी यह समस्या बढ़ सकती है।
बचाव के उपाय:
- खाना धीरे-धीरे चबाकर खाएँ।
- गैस बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों, जैसे बीन्स या पत्तागोभी, का सेवन सीमित करें।
- रोजाना हल्का व्यायाम करें, जैसे टहलना या योग।
- पानी पर्याप्त मात्रा में पिएँ।
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2. आंतों में इंफेक्शन (Intestinal Infection)
लक्षण:
- बार-बार दस्त
- उल्टी या जी मिचलाना
- पेट में तेज दर्द
- बुखार या ठंड लगना
कारण:
आंतों का इंफेक्शन बैक्टीरिया (जैसे सैल्मोनेला), वायरस (जैसे नोरोवायरस), या परजीवियों के कारण होता है। दूषित भोजन या पानी इसका प्रमुख कारण है। खासकर मानसून के मौसम में यह समस्या आम होती है।
बचाव के उपाय:
- हमेशा साफ और उबला हुआ पानी पिएँ।
- खाना खाने से पहले हाथ अच्छे से धोएँ।
- बासी या बाहर का खाना खाने से बचें।
- अगर इंफेक्शन हो, तो डॉक्टर से सलाह लें और एंटीबायोटिक्स का उपयोग करें।
3. इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease – IBD)
लक्षण:
- खूनी दस्त
- वजन में कमी
- लगातार थकान
- पेट में बार-बार दर्द
प्रकार:
- क्रोहन डिजीज (Crohn’s Disease): यह पूरे पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
- अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis): यह मुख्य रूप से बड़ी आंत और रेक्टम को प्रभावित करता है।
कारण:
IBD एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता आंतों की दीवारों पर हमला करती है। अनुवांशिक कारक, तनाव, और खराब आहार इसका जोखिम बढ़ा सकते हैं।
बचाव के उपाय:
- तनाव कम करने के लिए ध्यान और योग करें।
- फाइबर युक्त और संतुलित आहार लें।
- नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप करवाएँ।
- धूम्रपान और शराब से बचें।
4. इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome – IBS)
लक्षण:
- कभी दस्त, कभी कब्ज
- पेट में ऐंठन
- गैस या ब्लोटिंग
- खाने के बाद असहजता
कारण:
IBS एक कार्यात्मक विकार है, जो तनाव, हार्मोनल बदलाव, या कुछ खाद्य पदार्थों (जैसे डेयरी या ग्लूटेन) के कारण हो सकता है। यह गंभीर नहीं है, लेकिन लंबे समय तक परेशानी दे सकता है।
बचाव के उपाय:
- तनाव प्रबंधन के लिए मेडिटेशन या काउंसलिंग लें।
- ट्रिगर फूड्स, जैसे कैफीन या मसालेदार भोजन, से बचें।
- छोटे-छोटे भोजन बार-बार लें।
- प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे दही, खाएँ।
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5. आंतों में कीड़े (Intestinal Worms)
लक्षण:
- भूख न लगना
- पेट दर्द
- गुदा में खुजली
- वजन कम होना
कारण:
आंतों में कीड़े दूषित भोजन, पानी, या मिट्टी के संपर्क में आने से होते हैं। यह समस्या बच्चों में ज्यादा आम है। राउंडवर्म, टेपवर्म, और पिनवर्म इसके सामान्य प्रकार हैं।
बचाव के उपाय:
- खाना खाने से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ धोएँ।
- नाखून छोटे रखें और साफ रखें।
- फल और सब्जियाँ अच्छे से धोकर खाएँ।
- हर 6 महीने में डीवॉर्मिंग की दवा लें।
6. आंतों में कैंसर (Colorectal Cancer)
लक्षण:
- मल में खून
- लगातार दस्त या कब्ज
- पेट में दर्द या ऐंठन
- अचानक वजन कम होना
कारण:
आंतों में कैंसर, खासकर कोलन या रेक्टम में, अनुवांशिक कारकों, खराब आहार (जैसे रेड मीट का अधिक सेवन), या पुरानी सूजन (जैसे IBD) के कारण हो सकता है।
बचाव के उपाय:
- फाइबर युक्त आहार, जैसे फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज, खाएँ।
- नियमित रूप से कोलोनोस्कोपी करवाएँ, खासकर 50 साल की उम्र के बाद।
- धूम्रपान और शराब से बचें।
- वजन नियंत्रित रखें और व्यायाम करें।
7. आंतों में रुकावट (Intestinal Obstruction)
लक्षण:
- तेज पेट दर्द
- उल्टी
- पेट फूलना
- गैस या मल न निकलना
कारण:
आंतों में रुकावट ट्यूमर, चिपकाव (Adhesions), या हर्निया के कारण हो सकती है। यह एक आपातकालीन स्थिति है और तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
बचाव के उपाय:
- पुरानी पेट की समस्याओं का समय पर इलाज करवाएँ।
- सर्जरी के बाद डॉक्टर की सलाह मानें।
- हल्का और पचने वाला भोजन खाएँ।
8. डाइवर्टिकुलोसिस और डाइवर्टिकुलाइटिस
लक्षण:
- बाईं तरफ पेट दर्द
- बुखार
- कब्ज या दस्त
- जी मिचलाना
कारण:
डाइवर्टिकुलोसिस में बड़ी आंत की दीवारों में छोटे थैले बन जाते हैं। अगर इनमें सूजन या इंफेक्शन हो जाए, तो इसे डाइवर्टिकुलाइटिस कहते हैं। कम फाइबर वाला आहार इसका प्रमुख कारण है।
बचाव के उपाय:
- फाइबर युक्त भोजन, जैसे ओट्स, सेब, और गाजर, खाएँ।
- पर्याप्त पानी पिएँ।
- नियमित व्यायाम करें।
- अगर सूजन हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।
9. सीलिएक डिजीज (Celiac Disease)
लक्षण:
- दस्त
- वजन कम होना
- त्वचा पर रैश
- थकान
कारण:
सीलिएक डिजीज एक ऑटोइम्यून विकार है, जिसमें ग्लूटेन (गेहूं, जौ, राई में पाया जाने वाला प्रोटीन) खाने से आंतें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। यह पोषक तत्वों के अवशोषण को रोकता है।
बचाव के उपाय:
- ग्लूटेन-मुक्त आहार, जैसे चावल, मक्का, या क्विनोआ, खाएँ।
- पैकेज्ड फूड खरीदने से पहले लेबल चेक करें।
- नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप करवाएँ।
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10. आंतों में अल्सर (Intestinal Ulcers)
लक्षण:
- खाली पेट में दर्द
- जलन या एसिडिटी
- उल्टी
- भूख न लगना
कारण:
आंतों में अल्सर, खासकर ड्यूओडेनल अल्सर, हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया या लंबे समय तक NSAIDs (जैसे इबुप्रोफेन) के सेवन से हो सकते हैं।
बचाव के उपाय:
- मसालेदार और तला हुआ भोजन कम करें।
- दवाएँ डॉ बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
- अगर लक्षण हों, तो एंडोस्कोपी करवाएँ।
आंतों के रोगों की जाँच कैसे करें?
आंतों की समस्याओं की जाँच के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं:
- स्टूल टेस्ट: इंफेक्शन या खून की जाँच के लिए।
- कोलोनोस्कोपी: बड़ी आंत की अंदरूनी जाँच।
- एंडोस्कोपी: छोटी आंत और पेट की जाँच।
- ब्लड टेस्ट: सूजन या एनीमिया की जाँच।
- सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड: आंतों में रुकावट या ट्यूमर की जाँच।

आंतों को स्वस्थ रखने के सामान्य उपाय
आंतों को स्वस्थ रखना पाचन तंत्र और समग्र स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। नीचे कुछ आसान टिप्स दिए गए हैं:
- संतुलित आहार लें: फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, और प्रो-फैट प्रोटीन खाएँ।
- पानी खूब पिएँ: रोजाना 8-10 गिलास पानी पाचन को बेहतर करता है।
- व्यायाम करें: रोजाना 30 मिनट की सैर या योग आंतों को सक्रिय रखता है।
- तनाव कम करें: ध्यान, गहरी साँसें, और नींद तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
- नियमित चेकअप: 40 साल की उम्र के बाद नियमित स्क्रीनिंग करवाएँ।
निष्कर्ष:आंतों में कौन-कौन से रोग हो सकते हैं?
आंतों के रोग कई प्रकार के हो सकते हैं, लेकिन सही जानकारी और समय पर उपचार से इनसे बचा जा सकता है। अगर आपको बार-बार पेट दर्द, दस्त, कब्ज, या वजन कम होने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन से आप अपनी आंतों को स्वस्थ रख सकते हैं। आशा है, यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा होगा। अगर आपको किसी रोग के बारे में और जानकारी चाहिए, तो कमेंट में बताएँ।
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